Thursday, December 10, 2009




रचनाकार: हेमन्त शेष




संग्रह — 'अशुद्ध सारंग' /  पंचशील प्रकाशन, चौड़ा रास्ता, जयपुर








मेरा वह अपराध कौन क्षमा करेगा, प्रभु!



तू या मैं स्वयं



मैंने कभी तुझे प्रणाम न किया



प्रेमिका के साथ बाग़ से गुज़रते वक़्त



परीक्षा हाल में पर्चा बँटने से पहले तू याद आता रहा



लाचारी में ईश्वर, जवानी में प्रेमिका



दोनों बराबर।

1 comment:

  1. लाचारी में ईश्वर, जवानी में प्रेमिका
    wah ...acha jumla bana ...yahi pankti es ko kavita bhi bana gayi ..dhanyawad ....

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